Saturday 11 January 2014

जेहाद नहीं, पाप है

 जेहाद नहीं, पाप है 

जेहाद के नाम पर
 कितनी बस्तियां उजाडीं ,
कितनी ही तक़दीरें 
बनने से पहले बिगाड़ी,
मासूमों के हाथ में 
रख दिए हथियार,
मिटा दिये सुहागिनों के 
सोलह श्रृंगार,
तुम्हारे जुल्म कहानी 
कहती है कश्मीर की हर गली,
ये गुलशन-ए- गुल 
लगता है कोई बस्ती जली ,
क़दमों तले रौंदी 
तुमने इंसानियत,
अमन के खेत में 
बो दी नफरत,
फिर बनाते हो 
दीन  के पुजारी,
यह दीन की खिदमत नहीं ,
दीन  से है गद्दारी ,
मज़हब ने सिखाया 
चैनो अमन,सुकूं,
तुमने बहाया 
बेगुनाहों का लहू,
अल्लाह क पैगाम है 
भाईचारा,
तुमने किया दिलों का बंटवारा,
गर बनते हो सच्चे 
मज़हब के पहरेदार,
तो फैला दो जहाँ में 
भाईचारा और प्यार,
और लगालो गले उन्हें 
जो है लाचार ,