टूटकर शाख से पत्ते मिटटी मैं मिल जाते हैं,
बीते हुए दिन लौट कर नहीं आते हैं,
हर रिश्ते को दोनों हाथों से संभालो,
आईना गर गिर तो टुकड़े बिखर जातें हैं,
ना कोई शहर अजनबी है, ना कोई शख्स,
प्यार से मिलोगे दुश्मन भी दोस्त हो जातें हैं,
बुलबुले पानी के खिलोने नहीं हो सकते,
हाथ लगते ही ये तो फुट जाते हैं,
उमीदों के चिराग रोशन रहने दो हमेशा,
हर दिन के बाद रात के घनघॊर अँधेरे आते हैं।
-चित्र कुमार गुप्ता
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